फिजाये जब झूमती है , ऐसा लगता है तुमने मुझ पर इनायत कर दी है । प्रीत में तुम्हारे सजते है ,तो ऐसा लगता है .... तुमसे मुहब्बत कर ली है । तेरा नशा इस कदर रच बस सा गया है ... मेरी रूह में , ऐ हमदम ! नाम तुम्हारा लेते है तो ,ऐसा लगता है खुदा की इबादत कर ली है..
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