मेरे ज़हन में बसी है वो
जैसे गुल में खुशबू

मेरे ख्यालों में आती जाती
मेरे अहसासों मे शामिल वो

चिनार के पतों पे श़बनम सी
ज़नत की फ़िजा है वो

मेरी साँसों की रवानी
मेरे ज़जबातों की पैदाइश है वो

मेरे वज़ूद का अहसास
मेरी रूह की ख्वाईश है वो

बुत-ए-संगमरमर जैसे कोई
ख़ुदा की ईब़ादत सी है वो ।

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