Saam hote unki yaad aane lagi

न जाने ये कैसी है उलझन,
न जाने ये कैसी है जुस्तजू,
जो कभी नहीं मिल सकता हमें,
क्यूँ है सिर्फ़ उन्हीं की आरज़ू !

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