TAHAR GAYA THA KOI WAQT


ठहर गया था कोई वक़्त की निशानी बनके,
वो भी बह गया आज आँखों का पानी बनके,
एक उम्र से संभाला था हमने जो दरिया,
बहा ले गया वो उसे एक रात तूफानी बनके !

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