तुम क्या गयीं सारी खुशियाँ चली गयीं
मन तो उदास होता आज भी है,

आँखों में आँशू दिखते नहीं ये और बात है
पर तेरी याद में हर पल ये दिल रोता आज भी है

साथ बिताये थे बैठकर जो लम्हे हमने कभी एक साथ

धुंधली पड़ गयी उन यादों को
आंसुओं से धोता ये दिल आज भी है

चांदनी रातों में झील के किनारे बैठकर सुनी थी हमने ,तेरी चूड़ियों की खनखनाहट

तेरी पायलों की छनक से निकले हुए उस राग को ,

सूखे होठों से हरपल गुनगुनाता ये दिल आज भी है

किसी जहरीली नागिन सा बलखाता तेरा बदन और

मदमस्त तेरे होठों से पिया था हमने कभी तेरा जहर

नीलिमा नही आती मेरे बदन पर कभी फिर भी

तेरे जहर के नशे में ये दिल झूम जाता आज भी है

अरे ! तुम तो चले गए और जाते हुए मुझको

क्यों इस शराब का सहारा दे गए
जब पीता हूँ इस गरज से कि पिऊंगा रात भर और कोसुंगा तेरे इश्क़ को

बस देख कर तेरी तस्वीर को न जाने क्यों

हर बार मेरे हाथ से पैमाना छूट जाता आज भी है

Viky Chahar

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