हम रात भर समेटते रहे टुकड़े दिल के।

Shamete Rahe Tukde Dil Ke
Shamete Rahe Tukde Dil Ke


हम रात भर समेटते रहे टुकड़े दिल के। 
कल कोई तोड़ गया था यू गैरों से मिल के। 
पूछ ही ना पाये उनसे सबब बेरुखी का। 
रह गये खामोश अपने लवों को सिल के।

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