अदाओं पर मेरी न जाना तुम गालिब......
तुम्हे कही का़तिल बना ही न डाले......
मेरी ज़िन्दगी में तुम्हारी दखलंदाजी की आदत गई नहीं
साँसों में भी रुकावट डालते हो हिचकियाँ बनकर
मोहब्बत में रहा न तन्हा कभी
कोई...
किसी को इश्क मिल गया
किसी को अश्क मिल गया..!!!
चेहरे में घुल गया है हंसी चांदनी का नूर।
आँखों में है चमन की जवां रात का सुरूर।।
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