मंज़िल इन्सान के हौसले आजमाती है,
सपनों के परदे आँखों से हटाती है,
किसी भी बात से हिम्मत मत हारना,
ठोकर ही इन्सान को चलना सिखाती हैं।
अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो,
मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो,
मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना,
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो..
किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों है?
जो नहीं मिल सकता उसी से मुहब्बत क्यों है?
कितने खायें है धोखे इन राहों में!
फिर भी दिल को उसी का इंतजार क्यों है?
मुस्कारने के मकसद न ढूँढ,
वर्ना जिन्दगी यूँ ही कट जाएगी,
कभी बेवजह भी मुस्कुरा के देख,
तेरे साथ साथ जिन्दगी भी मुस्कुरायेगी।
ख्वाबों कॆ अंदर ज़िंदा मत रहो,
बल्की अपने अंदर ख्वाब को ज़िदा रखो,
मोहब्बत उससॆ नही होती जो खूबसूरत हो,
खूबसूरत वो होती है जिससॆ मोहब्बत हो..
डर मुझे भी लगा फांसला देख कर,
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर,
खुद ब खुद मेरे नज़दीक आती गई
मेरी मंज़िल मेरा हौंसला देख कर.!
टूटने लगा हूँ, ख़ुदा मुझे फ़ना कर दे,
या वो मक़सद दे जिसपे जिंदगी हम सदा कर दें,
जीने की जिद ज्यादा नही,
मगर जितना जिया उसमें कुछ ताऱीफें अदा कर दे।।
जिसमे याद ना आए वो तन्हाई किस काम की,
बिगड़े रिश्ते ना बने तो खुदाई किस काम की,
बेशक इंसान को ऊंचाई तक जाना है,
पर जहाँ से अपने ना दिखें वो उँचाई किस काम की।