समेट कर ले जाओ..
अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से..
अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर..
इनकी ज़रूरत पड़ेगी।
दर्द ही सही मेरे इश्क का इनाम तो आया,
खाली ही सही हाथों में जाम तो आया,
मैं हूँ बेवफ़ा सबको बताया उसने,
यूँ ही सही, उसके लबों पे मेरा नाम तो आया।
अपनी खुशीयां लुटा कर उसपर कुर्बान हो जाऊ,
काश कुछ दिन उसके शहर का मेहमान हो जाऊ,
वो अपना नायाब दिल मुझको देदे,
और फिर वापस मांगे, मैं मुकर जाऊ और बेईमान हो जाऊ..
हम सिमटते गए उनमें और वो हमें भुलाते गए,
हम मरते गए उनकी बेरुखी से, और वो हमें आजमाते गए,
सोचा की मेरी बेपनाह मोहब्बत देखकर सीख लेंगी वफाएँ करना,
पर हम रोते गए और वो हमें खुशी खुशी रुलाते गए..!!
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने,
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी..
अनजाने में यूँ ही हम दिल गँवा बैठे,
इस प्यार में कैसे धोखा खा बैठे,
उनसे क्या गिला करें.. भूल तो हमारी थी
जो बिना दिलवालों से ही दिल लगा बैठे।
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