दिल के लहू को श्याही
सासों को कागज बना ,
इबादत-ऐ-मोहब्बत लिख दी, हमने,जिंदगी भर के लिए
तस्तरी में भरे पानी में चमकता हुआ चाँद
दूर होते हुए भी ,जितना करीब
रहता है
मोहब्बत -ऐ-अंजाम में वो सख्श आज भी
मेरे उतना ही करीब है ।।
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