एक मुट्ठी आसमान चाहिए


यहां सफर कैसा भी हो,
सभी को रास्ता एक, आसान चाहिए।

यहां मंज़िल कैसी भी हो,
लोगो को तो बस एक, पहचान चाहिए।

सोने वाले सपनों से थक कर सो गए,
अब हर किसी को महल एक, आलिशान चाहिए।

कोशिश तो करते हैं सब अपने लिए जीने की,
पर यहां जीने के लिए भी, एक मुट्ठी आसमान चाहिए।

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