Ab Zahar Hi Shahi - पीना सीख गई हूँ मैं..


अब ज़हर ही सही

पीना सीख गई हूँ मैं
तेरे बिना ही सही
जीना सीख गई हूँ मैं

अब अश्क़ ही सही
छुपाना सीख गई हूँ मैं
दिल में दर्द ही सही
पर मुस्कुराना सीख गई हूँ मैं

अब तनहा ही सही
चलना सीख गई हूँ मैं
ये दूरियाँ ही सही
सबकुछ भुलाना सीख गई हूँ मैं

अब ज़ख्म ही सही
ग़मे-मरहम लगाना सीख गई हूँ मैं
तेरी यादें ही सही
निशाने-ख़्वाब मिटाना सीख गई हूँ मैं

तू किसी और का ही सही
गैरों में आना सीख गई हूँ मैं
टूटा तो टूटा ही सही
दिल को समझाना सीख गई हूँ मैं

अब ज़हर ही सही
पीना सीख गई हूँ मैं
तेरे बिना ही सही
जीना सीख गई हूँ मैं...

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