है ज़ख्मो से छलनी
तू सहलाने की कोशिश ना कर
तोड़ के इस दिल को मेरे
तू बहलाने की कोशिश ना कर
जीने दे मुझे अब तनहा
तू समझाने की कोशिश ना कर
पत्थऱ बना के मुझे
तू पिघलाने की कोशिश ना कर
हो गई राहें अब जुदा
तू मिलाने की कोशिश ना कर
उलझ गई रिश्तों की डोर जो
तू सुलझाने की कोशिश ना कर
बंद हो गए दरवाज़े दिलों के
तू खटखटाने की कोशिश ना कर
थमी हुई अब धड़कन को मेरी
तू फिर धड़काने की कोशिश ना कर
है ज़ख्मो से छलनी
तू सहलाने की कोशिश ना कर..
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