बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है;
यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है;
तड़प उठता हूँ दर्द के मारे,
ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है;
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ;
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है!
आसुओ को पलकों में लाया न कीजिये,
दिल की बात हर किसी को बताया न कीजिये,
मुट्ठी में नमक लेकर गुमते है लोग,
अपने ज़ख़्म हर किसी को दिखाया न कीजिये.
जिनकी याद में हम दीवाने हो गए,
वो हम ही से बेगाने हो गए,
शायद उन्हें तालाश है अब नये प्यार की,
क्यूंकि उनकी नज़र में हम पुराने हो गए.
देख मेरी आँखों में ख्वाब किसके हैं
दिल में मेरे सुलगते तूफ़ान किसके हैं
नहीं गुज़रा कोई आज तक इस रास्ते से
फिर ये क़दमों के निशान किसके हैं
रात को जब चाँद सितारे चमकते हैं,
हम हरदम फिर तेरी याद में तड़पते हैं,
आप तो चले गए हो छोड़कर हम को,
मगर हम मिलने को तरसते है।
आंसुओं की बूँदें हैं या आँखों की नमी है
न ऊपर आसमां है न नीचे ज़मी है
यह कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का
उसी की ज़रूरत है और उसी की कमी है।
उन लोगों का क्या हुआ होगा.
जिनको मेरी तरह गम ने मारा होगा.
किनारे पर खड़े लोग क्या जाने.
डूबने वाले ने किस किस को पुकारा होगा.
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