चला था स्कूल का बस्ता लिये उन छोटे छोटे कदमों पे
मा कहती थी बेटा इन्हें मजबूत कर दुनिया का बोझ उठाना है
पता ना था कि कैसा बोझ होगा बस चलता जा रहा था
हसते हुए रोते हुए अपनी किस्मत से लडते जा रहा था
सब कहते थे पढ ले बेटा काम यही आयेगा
सब झूठ है सब पराया है एक ज्ञान ही तूझे तेरा हक दिलायेगा
घिस घिस कर पेन कि श्याही हमने बस इतना सीखा
जो पेपर मे आये वो ही पढो बाकी सब अल्फा बीटा गामा और थीता
पढाई करते करते जवान भी होने लगे
लडका लडकी प्यार महोब्बत इनके discussion में भी खोने लगे
जो पिक्चर कभी समझ ना आती थी वो अच्छी लगने लगी
friendship बैंड deo और gel में हमारी भी जेब कटने लगी
जाने क्यूं उपर वाले ने हमें एक खूबसूरत चेहरा ना दिया
fairness cream लगा के भी ये कभी fair ना हुआ
दिल था जो जा रहा उस मंजिल की ओर जहां शायद enrty थी खूबसूरत लोग की
और हम दरवाजे खटखटाते रह गये उस चेहरे का जिसे जरूरत ना थी मेरे दिल की
इस इश्क विश्क के चक्कर में पढाई से नाता ना जुड पाया
होशियार तो बहुत थे पढाई में मगर कभी उसे दिल से ना लगया
पापा ने हमारे बहुत struggle किया था वो खूब हमें समझाते थे
पर समझाते हुए अक्सर गुस्से में आ जाते थे
गुस्से में वो अक्सर ऐसी बातें कह जाते थे
जो सुन कर हम अपनी जिन्दगी से मुह छुपाते थे
मन करता था की कही भाग जाउ मर जाउ कैसे भी
पर मां का प्यार मरने ना देता था जाने ना देता था कही भी
बचपन बीता बडी मुश्किल से लगता था ऐसा ही मुझको
बडे होगें बडा करेंगे डाटेंगे हम भी सबको
अब दिन कुछ जवान हुए शाम अच्छी लगने लगी थी
छुप छुप के सपने देखने में रातें सजा करती थी
लडके लडकी का फर्क अब समझ आने लगा
किसी खूबसूरत से दिल लगाने को जी चाहने लगा
उस पर था पढाई का साया जो हर वक्त डराता था
future को अपने सोच कर सपने सजाया करता था
मां पापा को हर सुख दूं मैं हर खुशी उन्हें नाजार करूं
ऐसा काम करूं की नाम उनका रोशन कर पाउ
इसलिए tution में मैं पढने जाया करता था
maths और science में दिल और दिमाग खपाया करता था
एक दौस्त था पुराना जो हर वक्त मुझे चिढाया करता था
कलमान खान कह के मुझे बुलाया करता था
हसती थी उसकी बहन भी उसी की बात पे
और उसकी एक friend थी जो ध्यान ना देती थी इस बात पे
मेरा दिल भी बस उसी की तरफ झुकने लगा
marks का तो पता नही attendence पूरी में top करने लगा
मन ही मन उसको इतना प्यार करने लगा
बस वो ही एक जीवन लक्ष्य ऐसा मै समझने लगा
काश उस दिन बारिश ना होती
काश वो मेरे संग मेरी bike पे बैठी ना होती
ना वो प्यार पागलपन बनता
ना वो पागलपन मेरा दिमाग खराब करता
रात दिल बस आंखों में उसी के सपने छाये थे
उसको मुस्कुराता देखने के लिए ना जाने कितने jokes सुनाये थे
असली खुशी तब हुइ जब हर जगह वो दिखने लगी
उसके सिवा किसी भी लडकी में मेरी दिलचस्पी ही ना रही
6 महीने बाद इतना मुझे यकीन हुआ था
प्यार शायद यही है और मैने सच्चा प्यार किया था
सोचा कैसे बताउं उसको मुझमें इतनी हिम्मत ना थी
अचानक फिर याद आया 14 feb नजदीक ही थी
सोचा उस दिन तो कोई किसी का दिल ना तोडेगा
इतफाक से उसी दिल tution का extra period arrange हुआ
मैं सातवे आसमान पर था क्या करूं कैसे करूं यही सोचता था
12 बार लिखने के बाद एक letter फाइनल किया
लाल रंग से लिखा था उसे पीले रंग से सजाया था
हर अक्षर में प्यार भर कर एक एक जजबात उसमें उथाया था
tution खतम होने के बाद मैंने बहाने से उसे वो लेटर दिया
और उसके पढने से पहले ही बहाने से वहां से भाग गया
घूम के उसके पीछे ही पेड की ओट में छिप गया
उसमें लिखा था.......
हां है तो रख लो ना है तो छोड कर चली जाओ
और कुछ कहना है तो वहीं रूकों मै सामने आ जाउगां
उसने वो लेटर पढा और वही खडी रही
उधर मै तो जम के बर्फ हुआ मुझमें भी हिम्मत ना हुई
फिर उसने उर लेटर के पीछे कुछ लिखा
और चली गयी मेरा बैग वही छोड कर मैनें जब देखा तो विश्वास ना हुआ
गयी थी वो मेरा दिल तोड कर
10th board के पेपर है अभी मैं इन चक्करों में नहीं पडना चाहती
इन शब्दों से जो दर्द हुआ उसमें कोई दवा काम ना आई
मैने घर पहुंच कर उसे फोन किया
वो बोली जो बोलना था वो मैंने उस लेटर पर लिख दिया
समझ ना आया क्या करूं मर जानें को जी किया
पर फिर से उस मां की याद ने मुझे जीने को कारण दिया
टूट चुका था इस बार अन्दर से अब जोश ना मेरे जीवन में था
उस दोस्त का कलमान खान कहना शायद ठीक ही था
मेरे बोर्ड के पेपर तो जैसे तैसे बीत गये
अच्छा स्कोर कर सकता था पर 71 परसेंट में ही सिमट गये
टूटे दिल टूटे अत्मविश्वास के साथ आगे बढा
मां बा पके सिवा कोई मन का सहारा नहीं था........
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