उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है,
जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है,
दिल टूटकर बिखरता है इस कदर,
जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है!
लिखो तो पैगाम कुछ ऐसा लिखो की,
कलम भी रोने को मजबूर हो जाये,
हर लफ्ज में वो दर्द भर दो की,
पढने वाला प्यार करने पर मजबूर हो जाये..
उसके चले जाने के बाद..
हम महोबत नहीं करते किसी से..
छोटी सी जिन्दगी है..
किस किस को अजमाते रहेंगे|
कभी रो के मुस्कुराए, कभी मुस्कुरा के रोए,
जब भी तेरी याद आई तुझे भुला के रोए,
एक तेरा ही तो नाम था जिसे हज़ार बार लिखा,
जितना लिख के खुश हुए उस से ज़यादा मिटा के रोए.
गम इस बात का नही कि तुम बेवफा निकली,
मगर अफ़सोस ये है कि,
वो सब लोग सच निकले,
जिनसे मैं तेरे लिए लड़ा करता था!!
कभी आसूं तो कभी खुशी देखी,
हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी,
उनकी नाराजगी को हम क्या समझे,
हमने खुद कि तकदीर की बेबसी देखी..
तेरी याद में आंसुओं का समंदर बना लिया,
तन्हाई के शहर में अपना घर बना लिया,
सुना है लोग पूजते हैं पत्थर को,
इसलिए तुझसे जुदा होने के बाद दिल को पत्थर बना लिया।
जिनके दिल पे लगती है चोट..
वो आँखों से नही रोते,
जो अपनो के ना हुए..
किसी के नही होते,
मेरे हालातों ने मुझे ये सिखाया है..
की सपने टूट जाते हैं पर पूरे नही होते|
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