तक़दीर के आईने में मेरी तस्वीर खो गई;
आज हमेशा के लिए मेरी रूह सो गई;
मोहब्बत करके क्या पाया मैंने;
वो कल मेरी थी आज किसी और की हो गई!
रात की गहराई आँखों में उतर आई,
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई,
ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के,
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई|
प्यासी ये निगाहें तरसती रहती हैं;
तेरी याद में अक्सर बरसती रहती हैं;
हम तेरे ख्यालों में डूबे रहते हैं;
और ये ज़ालिम दुनिया हम पे हँसती रहती है।
इंसानों के कंधे पर इंसान जा रहे हैं,
कफ़न में लिपट कर कुछ अरमान जा रहे हैं,
जिन्हें मिली मोहब्बत में बेवफ़ाई,
वफ़ा की तलाश में वो कब्रिस्तान जा रहे हैं।
जब तुम पर बीतेगी
तो तुम भी जान जाओगी
की कोई जब अपना नजर अंदाज
करता है तो कितना दर्द होता हैं…
हमें कोई ग़म नहीं था ग़म-ए-आशिक़ी से पहले,
न थी दुश्मनी किसी से तेरी दोस्ती से पहले,
है ये मेरी बदनसीबी तेरा क्या कुसूर इसमें,
तेरे ग़म ने मार डाला मुझे ज़िन्दग़ी से पहले।
जिन्दगी तो है पर कुछ खास नहीं,
होठो पे उनका नाम तो है पर उन्हें एहसास नहीं,
दिल में उनके लिए प्यार तो है पर उन्हें आभास नहीं,
अपना बनाना चाहते हैं पर अब उन्हें अपना बनाने की उम्मीद भी हमारे पास नहीं।
मेरी वफ़ा की कदर ना की,
अपनी पसंद पे तो ऐतबार किया होता,
सुना है वो उसकी भी ना हुई,
मुझे छोड दिया था उसे तो अपना लिया होता|
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